Anmol Magazine - तेरी जिन्दगी
उड़े मनोच्छा खुलें गगन में
शुद्ध हवा हो तेरी जिन्दगी
विचरे निर्विरोध खुलें थल में
सावन-हरी हो तेरी जिन्दगी
बहे वेखौफ खुलें सागर में
अथाह जल हो तेरी जिन्दगी
गूंजती है एक आवाज़ मेरी दिल में
तु जैसा चाहे वैसे चले तेरी जिन्दगी
✍🏼 कर्मवीर सिंह लाखलाण 'पातवान'
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