9 महिने तनै कोख मैं राख्या
उस टैंम बहौत घणी दुख पाई थी ,
एक -एक दिन तेरा गिण कै काट्या
उसकै दुख- तकलीफ भी आई थी ।
किस जुर्म की सजा दी इस नै
भगवान तनै एक पल तरस ना आई थी ,
मां वे क्युकर अपणी यादा नै भुलै
हर बात पै उसकी आँख भर आई थी ।
जिस पेड़ तै पत्ता टूट ज्या
वो कदे दुबारा नहीं लाग्या करै ,
जाया हुआ वापिस कदे ना आवै
फैर उस मां न कै सहारा मिल्या करै ।
संसार उजड़ ज्या सै उस माँ का
उस की लाश हाथा मैं रै पाई थी
पवन तेरी लेखनी का कोई जोर कोन्या
बेमाता इतणे सांस घाल कै ल्याई थी ।।
कवि * पवन शर्मा (हरियाणा)