Anmol Magazine ___
आज दुनिया उस कटघरे में आ खड़ी हैं जिसकी कल्पना करना व्यमानी हों सकती हैं लगभग एक लाख वर्ष पहले जब मानव सभ्यता का उदय हुआ उस समय पृथ्वी अपने सौंदर्य रूप में विद्यमान थी लेकिन मानव का जैसे जैसे विकास हुआ वैसे वैसे पृथ्वी अपना सौंदर्य खोने लगी
मानव ने विकास किया और उस चुनौती को आमंत्रित किया जिसके बारे में कभी मानव ने कल्पना भी नहीं की थी।
मानव ने विज्ञान का अविष्कार किया और विज्ञान के सहारे वो सारी जरूरत की वस्तुयों को हासिल कर लिया जिसकी मानव के विकास के लिए जरुरी थी लेकिन जैसे ही मानव में लोभ की भावना प्रबल हुई वैसे ही पृथ्वी का विनाश शुरू हों गया।
मानव ने स्कूल बनाये, अस्पताल बनाये, सड़को का निर्माण किया सुन्दर सुन्दर घर बनाये लेकिन वह भूल गया की जरूरत से ज्यादा विकास जीवन को संकट में डाल सकता हैं और वह वक़्त धीरे धीरे बढ़ता चला गया मानव का विकास भी बढ़ता चला गया फिर क्या होना था?
खेतों में उर्वरक डलने लगा मिट्टी नष्ट होने लगी फसल अच्छी होने लगी लेकिन बीमारियां बढ़ती चली गई?
नदियों में पुल का निर्माण किया गया और नदियों का मार्ग बदला गया जो नियति और प्रकृति के नियमों के खिलाफ था लेकिन मानव को तो सिर्फ विकास करना था?
नदियाँ सूखने लगी, घरों को बनाने के लिए जंगलो को अनाधुंध काटा गया और जंगली जानवरों का शिकार किया गया जिससे जैवविविधता खतरे में आ गई और पर्यावरण और परिस्थितिकी खतरे के कगार में आ खड़ी हुई हैं
जंगलो के कटने से जंगल के जीव जंतुयों का जीवन खतरे में आ गया और असमय मौसम के परिवर्तन से जंगलो में आग लग जाने की घटनाये दिन प्रतिदिन बढ़ने लगी हैं।
अत्यधिक खनन और अत्यधिक औद्योगिक करण होने से कुछ दसको से तापमान में तेजी से बृद्धि होने लगी हैं। जिससे पृथ्वी का तापमान 1.5°C बढ़ गया जिससे आज असमय बारिश का होना और ओलो का पढ़ना और बर्फ के पहाड़ो में बर्फ के पिघने की घटनाये प्रति दिन बढ़ती जा रही हैं।
क्योंकि पहाड़ो में बर्फ पिघलेगी तो नदियों में अचानक बाढ़ आ जाएगी जिससे नदियों के किनारे बसें शहर जलमंगन हों जायेगे और फिर नदियाँ सूख जाएगी जिससे विश्व की आधी आवादी खाद्य और पेयजल की विकराल समस्या से ग्रस्त हों सकती हैं।
इन सभी समस्याओ को बताया डॉ. सिंह ने और इसके निराकरण के लिए पीपल मैन बताते हैं की ज्यादा से ज्यादा पीपल और राष्ट्रीय वृक्ष बरगद पाकर नीम के पौधों को प्रत्येक गाँव, शहर, खुले मैदानों में ज्यादा से ज्यादा लगाया जाये और लोगों के बीच इनका महत्व बताया जाये क्योंकि पीपल के वृक्ष को कई धर्मों में पवित्र माना गया हैं और इसके आनेक औषधिय गुण भी वेदों में बताये गए हैं और यह तापमान में भी तेजी से कमी लाता हैं। डॉ. सिंह ने बताया कि वैज्ञानिको के अनुसंधान से पता चला हैं की पीपल 24 घंटे में 100 प्रतिशत ऑक्सीजन देता हैं और अत्यधिक मात्रा में कार्बनडाईऑक्साइड अवशोषित करता हैं इसी प्रकार वट वृक्ष बरगद 80 प्रतिशत ऑक्सीजन देता हैं और अत्यधिक मात्रा में विषैली गैस सोखता हैं और नीम 70प्रतिशत ,पाकर 60प्रतिशत इन पौधों को लगाने से तापमान में कमी लायी जा सकती हैं और नदियों किनारे मैंग्रो और चौड़ी पत्ती के वृक्ष लगाने से जंगलो को नष्ट होने से और शहरों में बाढ़ की समस्या को कम किया जा सकता हैं। इन सभी पौधों के रोपण से जंगल तैयार किये जा सकते हैं जिससे तापमान में कमी आएगी और पृथ्वी रहने योग्य बनी रहेंगी।
इन्ही सब समस्याओं को देखते हुए पीपल मैन डॉ.सिंह (हमीरपुर उत्तर प्रदेश)ने पिछले कई वर्षो में अलग-अलग राज्यों में कई हजार पीपल और बरगद नीम पाकर के पौधों का रोपण कर चुके हैं और लोग इनसे प्रेरित होकर पीपल और बरगद के पौधों का रोपण कर रहे हैं।
इन्हीं सब चर्चाओं के बाद पीपल मैन डॉ. सिंह और संस्थान के विख्यात अर्थशास्त्र के शिक्षक श्री अरुनेश सिंह जी के साथ अकादमी के सभी यूपीएससी अस्पायरिंट्स ने एक साथ पर्यावरण संरक्षण और अपने अपने नाम का एक पेड़ लगाने का संकल्प लिया और सभी छात्रों ने एक सुर में बोले आओ मिलकर शपथ लेते हैं कि हम अपने आस -पास हरियाली लाएंगे और प्लास्टिक का बहिष्कार करेंगे अपने नाम का एक पेड़ लगाएंगे अपनी धरा को हरा भरा बनाएंगे