कर्मवीर लाखलाण हरियाणा शिक्षक होने के साथ-साथ एक अच्छे कवि भी है पढ़िए *समुन्द्र की नाव*

Anmolmagazine ___ समुन्द्र की नाव

      समुन्द्र की नाव हूँ मैं
ना कोई छोर है ना कोई ठिकाना है
समुन्द्र में बहते बहते बहते जाना है

       हिचकोले खाते खाते खाते
एक दिन इसी में समा जाना है
समुन्द्र की नाव हूँ मैं

      ना किसी लक्ष्य की चाह है
ना मील के पत्थर की बाँट है
समुन्द्र की नाव हूँ मैं


    ना दुःख ना सुख की प्रवाह है 
ना दुनियादारी का कोई बोझ उठाना है
समुन्द्र की नाव हूँ मैं

    निरही मेष भांति हवा संग बहते जाना है
ज्वारभाटे का सजदा भी मुझको करना है
समुन्द्र की नाव हूँ मैं

    समझती है दूनियाँ आजाद हूँ मैं
मुझको इस आजादी का स्वाद चखना है
समुन्द्र की नाव हूँ मैं

   ना कोई छोर है ना कोई ठिकाना है
समुन्द्र में बहते बहते बहते जाना है
समुन्द्र की नाव हूँ मैं

✍🏼कर्मवीर सिहँ लाखलाण 'पातवान



आपने ये पढ़ा क्या **********








Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !