Anmolmagazine ___ समुन्द्र की नाव
ना कोई छोर है ना कोई ठिकाना है
समुन्द्र में बहते बहते बहते जाना है
हिचकोले खाते खाते खाते
एक दिन इसी में समा जाना है
समुन्द्र की नाव हूँ मैं
ना किसी लक्ष्य की चाह है
ना मील के पत्थर की बाँट है
समुन्द्र की नाव हूँ मैं
ना दुःख ना सुख की प्रवाह है
ना दुनियादारी का कोई बोझ उठाना है
समुन्द्र की नाव हूँ मैं
निरही मेष भांति हवा संग बहते जाना है
ज्वारभाटे का सजदा भी मुझको करना है
समुन्द्र की नाव हूँ मैं
समझती है दूनियाँ आजाद हूँ मैं
मुझको इस आजादी का स्वाद चखना है
समुन्द्र की नाव हूँ मैं
ना कोई छोर है ना कोई ठिकाना है
समुन्द्र में बहते बहते बहते जाना है
समुन्द्र की नाव हूँ मैं
✍🏼कर्मवीर सिहँ लाखलाण 'पातवान
आपने ये पढ़ा क्या **********