Anmol Magazine ___
वर्तमान में विश्व एक वैश्विक पटल पर तो आ रहा हैं पर एक दूसरे को निचा दिखाने की होड़ वर्तमान में भी कायम नजर आ रही हैं?
जोकि वैश्विक परिवार के लिए उचित नहीं हैं क्योंकि "पृथ्वी एक हैं और हम सब एक ही परिवार एक ही घर के रहनुवें हैं" क्योंकि जब इस पृथ्वी का जन्म हुआ तो यह बहुत गर्म थी औऱ धीरे-धीरे यह ठंडी हुई औऱ फिर कई काल बीते लेकिन बाद में आया "होलोसीन युग" 10,000 बी. सी. से वर्तमान काल तक इसके बाद "आधुनिक मानव की उत्पत्ति हुई" जिसे "होमोसेपियंस" कहाँ गया औऱ हम सब उन्ही की संतान हैं …
तो यह पूरा विश्व एक परिवार हुआ।
तो हम अलग कैसे हो सकते हैं? और फिर पृथ्वी के कई हिस्सों में अलग-अलग जगह हमनें भ्रमण किया और अपने लिए खाद्य पदार्थ और निवास स्थान की व्यवस्था की और फिर पृथ्वी की आंतरिक घटनाओं की वजह से महाद्वीपों का निर्माण हुआ और हम अलग -अलग महाद्वीपों में बट गये। यह तो प्राकृतिक घटना थी।
लेकिन वर्तमान में आज दुनिया कई खंडो में बट सी गई हैं? क्योंकि भौतिकवादी युग में इच्छाओं का प्रबल होना? औऱ जरूरत से ज्यादा अपनी इच्छाओं को बढ़ाते जाना औऱ अनाधुंध विकास करना आज मानव की प्रबल इच्छाओं ने वैश्विक समाज औऱ वैश्वि परिवार को आपस में अलग-थलग कर दिया हैं? इसलिए पीपल मैन डॉ. सिंह इस पर जोर दे रहें हैं कि आज जरूरत हैं? मानवता के लिए हमें आपस में सौहार्द,भाई चारा,प्रेम की भावना क़ायम करने कि औऱ एक पटल में आने की तभी हम अपने इस वैश्विक परिवार को बचा पाएंगे औऱ आने वाले खतरों से औऱ प्राकृतिक आपदाओं से बच पाएंगे वह चाहे मानव द्वारा उत्पन्न युद्ध की स्थितियाँ हो? या बढ़ती आतंकवादी घटनायें? या बढ़ते जलवायु- परिवर्तन का प्रभाव हो? या बढ़ते ग्रीन हाउस गैस का प्रभाव? जिससें दुनिया के अधिकांश हिस्सों में बर्फ पिघल रही हैं औऱ जंगलो में आग लगने की घटनायें आ रही हैं जिससे जैव-विविधता का तेजी से क्षरण हो रहा हैं?औऱ युद्ध, आतंकवाद सें समाज में अराजकता, सांप्रदायिकता अपना विकराल स्वरूप फैला रही हैं इसलिए मेरे वैश्विक परिवार के प्रिय मित्रों आप सभी से मेरा आग्रह औऱ निवेदन हैं कि हम सभी एक परिवार के रूप में एक मंच पर आये औऱ प्रकृति औऱ अपने वैश्विक परिवार समाज के लिए मिलकर कार्य करें और इस सुन्दर प्रकृति को संजोकर रखें और आपस में सौहार्द कायम करें तभी हम दुनियां में मानवता को क़ायम रख पाएंगे और सौहार्दपूर्वक और आपस में एक परिवार कि तरह रह पाएंगे और मानवता कि सेवा कर पाएंगे इसलिए विश्व के प्रत्येक नागरिक सें मेरा अनुरोध,आग्रह निवेदन हैं कि अपने राष्ट्रीय,नैतिक,सामाजिक,संस्कृतिक कर्ताव्यों के साथ-साथ पर्यावरणीय कर्तव्यों का भी निर्वहन करें …क्योंकि हम एक ही पृथ्वी में रहतें हैं और यह पृथ्वी हमारा घर हैं इसलिए हमें आपस में सौहार्द,सद्भावना, प्रेम के साथ रहना होगा और अपनी इस सुन्दर प्रकृति का ध्यान रखना होगा।