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सबसे पहले प्रकृति स्कूल महाराष्ट्र के होनहार छात्र ओम ने पीपल मैन डॉ. रघुराज प्रताप सिंह हमीरपुर उत्तर प्रदेश का देश के अलग-अलग राज्यों सें जुड़े बच्चों और शिक्षकों क़े बीच परिचय कराया
इसके बाद पीपल मैन डॉ. सिंह ने पीपल के वृक्ष बारे में बच्चों को बिस्तार सें बताया क्यों पीपल महत्पूर्ण हैं : पीपल (वानस्पति नाम:फ़ाइकस रेलीजियोसा Ficus religiosa) भारत, नेपाल, श्रीलंका, चीन और इंडोनेशिया में पाया जाने वाला बरगद की जाति का एक विशालकाय वृक्ष है, जिसे भारतीय संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है तथा अनेक पर्वों पर इसकी पूजा की जाती है। पीपल का वृक्ष का विस्तार, फैलाव तथा ऊंचाई व्यापक और विशाल होती है। यह सौ फुट से भी ऊंचा पाया जाता है।
हज़ारों पशु और मनुष्य इसकी छाया के नीचे विश्राम कर सकते हैं। बरगद और गूलर वृक्ष की भाँति इसके पुष्प भी गुप्त रहते हैं अतः इसे गुह्यपुष्पक भी कहा जाता है। अन्य क्षीरी (दूध वाले) वृक्षों की तरह पीपल भी दीर्घायु होता है। पीपल की आयु संभवतः 300 से 400 सालों के आसपास आंकी गई है। इसके फल बरगद-गूलर की भांति बीजों से भरे तथा आकार में मूँगफली के छोटे दानों जैसे होते हैं। बीज राई के दाने के आधे आकार में होते हैं। परन्तु इनसे उत्पन्न वृक्ष विशालतम रूप धारण करके सैकड़ों वर्षो तक खड़ा रहता है। पीपल की छाया बरगद से कम होती है। इसके पत्ते अधिक सुन्दर, कोमल, चिकने, चौड़े व लहरदार किनारे वाले होते हैं।
बसंत ऋतु में इस पर धानी रंग की नयी कोंपलें आने लगती है। बाद में, वह हरी और फिर गहरी हरी हो जाती हैं। पीपल के पत्ते जानवरों को चारे के रूप में खिलाये जाते हैं, विशेष रूप से हाथियों के लिए इन्हें उत्तम चारा माना जाता है। पीपल की लकड़ी ईंधन के काम आती है किंतु यह किसी इमारती काम या फर्नीचर के लिए अनुकूल नहीं होती। स्वास्थ्य के लिए पीपल को अति उपयोगी माना गया है। पीपल का वृक्ष हमें हमेशा कर्म करने की शिक्षा देता है। जब अन्य वृक्ष शांत हो पीपल की पत्तियों तब भी हिलती रहती है। इसके इस गतिशील प्रकृति के कारण इसे चल वृक्ष (चलपत्र) भी कहते हैं।आगे डॉ. सिंह ने बताया कि यह प्राण वायु देने वाला वृक्ष हैं जिसमें सें हमें 100 प्रतिशत ऑक्सीजन मिलती हैं और पीपल सबसे ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करने वाला वृक्ष हैं। जलवायु परिवर्तन को कम करने में पीपल का पेड़ काफ़ी कारगर साबित हो रहा हैं और वैज्ञानिको क़े शोध क़े अनुसार भारत सरकार पीपल क़े पेड़ लगवाने पर बल दे रही हैं।
इन सभी चर्चा के बाद प्रकृति स्कूल महाराष्ट्र के संचालक अन्ना जगपत जी ने पीपल मैन जी सें सवाल पूछा कि आपको पीपल के पेड़ लगाने कि प्रेणा कंहा सें मिली तो पीपल मैन डॉ. सिंह ने बताया कि संघ लोक सेवा आयोग कि तैयारी करते समय मन में ख्याल आया कि कुछ अलग करते हैं क्योंकि आईएएस बनकर जब प्रकृति और देश कि सेवा करना हैं तो क्यों ना पहले सें कि जाये और फिर क्या था अपने जन्मदिन सें मैंने पीपल का पेड़ लगाना शुरू किया और आगे कारबा बढ़ता गया और लोगों को जागरूक करता गया और लोंग जुड़ते गये और आज तक मैं और मेरी टीम ने मिलकर लगभग 20000 पौधों को लगा चुके हैं और अन्य कई हजार पौधों को हमनें लोगों मुफ्त वितरित किये हैं और कर रहें हैं जिनका संरक्षण भी हो रहा और पीपल क़े साथ अन्य पौधे जो प्रकृति में अपना योगदान दे रहें हैं।
इसके बाद ज्ञानोबा जी नाशिक महाराष्ट्र सें उन्होंने प्रश्न पूछा और प्रशंसा करते हुए आग्रह किया कि हमें अपने जीवन में 30 पौधों का रोपण करना चाहिए 10 पौधे अपने नाम,10 अपने बच्चें क़े नाम,और 10 पौधे अपने आने वाली पीढ़ी क़े नाम और उन्होंने एक खास बात बताई कि जब बच्चा कक्षा 6वीं क़े बाद आगे पढ़ाई करता हैं उसी समय सें उसे पर्यावरण क़े प्रति जागरूक करना होगा और उसके नाम का प्रति वर्ष एक पौधा फल वाला लगाये जिससे 10 वर्षों बाद वह पेड़ फल देना शुरू कर देगा जिससे बच्चें कि आर्थिक स्थिति भी ठीक रहेंगी जिससे वह आगे कि पढ़ाई करके अपने राष्ट्र और परिवार क़े लिए एक बेहतर योगदान दे सकता हैं।
इसके बाद पीपल मैन डॉ. सिंह ने सभी सें आग्रह किया कि अपने जीवन अपने नाम क़े 30 पौधे लगाये। इसके बाद ऑनलाइन बेविनार को छात्रा दर्शना चौधरी गुरुग्राम हरियाणा ने सम्बोधित कर पीपल मैन डॉ. रघुराज प्रताप सिंह को धन्यवाद कर शपथ लिया सभी ने कि हम अपने नाम क़े 30 पौधे लगाएंगे और कार्यक्रम को सफल बनाया।