वैश्विक परिवार के लिए पर्यावरण संरक्षण उतना ही जरुरी हैं जितना कि जीने के लिए सांस जरुरी हैं - पीपल मैन डॉ. सिंह

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 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के मुखर्जीनगर में यूपीएससी अस्पायरिंट के साथ डॉ.सिंह कि खास बात चीत में डॉ.सिंह ने चिंता जताते हुए अलग -अलग राज्यों के यूपीएससी अस्पायरिंट प्रतिभाशाली अपने मित्रों के साथ विश्व में तेजी से हो रहें जलवायु परिवर्तन और दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण को लेकर चाय के साथ एक घंटे तक वार्तालाप हुई जिसमें श्री आकाश जी जौनपुर उत्तर प्रदेश ने कंहा कि हमें जलवायु परिवर्तन और शिक्षा व्यवस्था के लिए काम करना होगा और प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक करना होगा कि वह प्रकृति के साथ मित्रवत व्यवहार करें,जिससे प्रकृति को उसके मूर्तरूप में रखा जा सकें।


 वही श्री राहुल जी (झारखण्ड) ने कंहा हमें प्रकृति के प्रति उतना ही लगाओं रखना होगा जितना कि प्रकृति हमसे रखें हुए हैं प्रकृति से हमारी मूलभूत आवश्कताओं कि पूर्ति होती हैं इसलिए हमें भी पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करना चाहिए।, श्री धर्मेंद्र जी प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश ने भी अपनी बात रखते हुए कंहा कि आज जिस तरह से तापमान में वृद्धि हो रही हैं वह मानवता के लिए बहुत ही खतरे का संकेत हैं क्योंकि अगर तापमान बढ़ता रहा तो शायद जीवन जीने में बड़ी कठिनाई होंगी इसलिए हमें पर्यावरण के प्रति प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्तव्यों से अवगत कराना होगा और प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाले कारको का बहिष्कार करना होगा।, इसी के साथ श्री अभिषेक झा जी बिहार ने कंहा कि मैं अपने समाज से ही सीखकर कार्य करना चाहता हूँ अपनी परंपरा वाली प्रणाली से सीखकर उसको नवाचार करके लागू करने कि जरुरत हैं क्योंकि पहले इतना प्रदूषण, और तापमान नहीं रहता था जैसे आज देखने को मिल रहा हैं इसका कारण हैं लोभ भौतिक सुख, भौतिक सुख भोगना गलत नहीं हैं पर प्रकृति के साथ सामंजस्य बना रहें तभी जीवन सार्थक रहेंगा। श्री उपेंद्र कुमार जी उत्तर प्रदेश ने शिक्षा, और सामाजिक कार्यों के साथ पर्यावरण के प्रति अपनी चिंता जताई और उस पर कार्य करने के लिए संकल्पिंत हुए, श्री चन्दन कुमार बिहार ने भी पर्यावरण संरक्षण पर जोर देकर लोगों को पर्यावरण हितैषी बनने के लिए जागरूक करने का संकल्प लिया और बताया कि हमें अपने आस पास के वातावरण को स्वच्छ बनाना होगा और इसके लिए हमें ज्यादा से ज्यादा पौधों का रोपण करना होगा क्योंकि तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा हैं जिसका करना हैं हमारी जीवन शैली और प्रकृति के प्रति मित्रवर व्यवहार ना रखना इसलिए हमें प्रकृति के साथ तालमेल बैठाना होगा। वही श्री रणधीर कुमार जायसवाल बिहार ने कंहा कि हम आज भौतिकता कि आंधी में इस प्रकार उलझ गये हैं कि हम अपनी जीवन शैली ही भूल गये हैं जिससे प्रकृति और मानव के बीच तालमेल नहीं बन रहा हैं इसलिए हमें अपने अपने मूल कर्तव्यों के साथ-साथ नैतिक, और पर्यावरणीय कर्तव्यों का भी पालन करना होगा जिससे हमें अच्छे वातावरण में सांस ले सकें इसके लिए हमें अपनी आदतों को बदलना होगा जो प्रकृति के खिलाफ हैं हमें प्रकृति के साथ जुड़कर कार्य करना होगा इसके लिए अपने आस पास हरियाली के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधों का रोपण , प्लास्टिक का बहिष्कार किया जाये। इन सभी चर्चाओं के बाद पीपल मैन ऑफ़ इंडिया के नाम से विख्यात डॉ. रघुराज प्रताप सिंह ने कंहा आप सभी कि बाते प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाने के लिए मानवता के लिए सार्थक हो सकती हैं जब प्रत्येक व्यक्ति अपने निजी सुख के साथ-साथ सामाजिक कार्यों और पर्यावरणीय कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करें क्योंकि आज हम मूलbअधिकारों को तो जानते हैं कि हमें हमारे संविधान से मिले हैं लेकिन हम अपने मूल कर्तव्यों को क्यों भूल जाते हैं? संविधान में हमें हमारे राष्ट्र के और पर्यावरण के प्रति जो कर्तव्य मिले हैं उनका हमें निष्ठा पूर्वक निर्वहन करना होगा क्योंकि जिस प्रकार आज वैश्विक परिवार जलवायु परिवर्तन का संकट झेल रहा हैं वह मानवता के लिए उचित नहीं हैं वर्तमान में कई पश्चिमी देशों में लोंग पानी और खाद्य पदार्थों के संकट से जूझ रहें वही हमारे भारत में कई दक्षिणी राज्यों में पानी खत्म होने कि कगार में हैं जिससे वंहा के लोगों को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा हैं क्योंकि अगर पानी नहीं होगा तो खाद्य पदार्थ कि समस्या पैदा हो जाएगी और अगर दूसरे राज्यों से सप्लाई और अन्य देशों का सहयोग लिया ज्यादा हैं तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव पड़ेगा जोकि उचित नहीं हैं। और डॉ. सिंह ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर भी चिंता जताई और इसके लिए अपनी जीवन शैली में बदलाओं के लिए आग्रह किया और जलवायु परिवर्तन बढ़ते ग्रीन हाउस, वेमौसम वर्षा, शहरी जीवन शैली से शहरों में बाढ़ कि समस्या, घटते भू-जल स्तर, कचरे के कृतिम पहाड़ो के निर्माण कि समस्या शहरों के लिए संकट आदि समस्याओं के लिए डॉ. सिंह ने ज्यादा मात्रा में पेड़ पौधे लगाने, और प्लास्टिक का बहिष्कार करने पर बल दिया जिससे आस-पास हरियाली होंगी और तापमान में भी कमी आएँगी और बेमौसम वर्षा भी अपने मूर्तरूप में होंगी और जीवन शैली में परिवर्तन से खाद्य पदार्थ से होने वाली बिमारियों से निजात मिलेगा जिससे राष्ट्र कि अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और मानव सभ्यता खिल खिलाकर कर हमेशा मुस्काराती रहेंगी और प्रकृति के साथ सामंजस्य से वैश्विक परिवार आपस में एक परिवार कि तरह हमेशा मुस्कराता रहेंगा और प्रकृति अपनी सौंदर्य रूप में बनी रहेंगी। इन सभी चर्चाओं के साथ पीपल मैन डॉ. सिंह और सभी यूपीएससी अस्पायरिंट चाय कि चुस्की के साथ ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने का संकल्प लिया। इसलिए आप भी अपने नाम का एक पेड़ लगाये और प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।

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