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आज हम ऐसे प्रतिभाशाली बालक की कहानी लेकर आये है जिसने बहुत कम उम्र अपनी प्रतिभा के दम पर असंभव सा कार्य संभव कर दिखाया आज हम बात मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के सुवासरा कस्बे में 1 दिसम्बर 2007 को जन्मे संभव डपकरा की कर रहे है
जब नाम ही संभव है तो फिर असंभव क्या बालक संभव ने मात्र 8 वर्ष की उम्र में ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसे देख दांतो तले लोग उंगलिया दबाले शंखनाद तो सबने सुना होगा लेकिन एक लंबे समय तक कोई शंख ध्वनि करे तो फिर सुनने में ओर देखने मे बहुत ही आश्चर्य होगा संभव डपकरा ने मात्र 8 वर्ष की उम्र में 26 सेकंड तक शंख ध्वनि करके विश्वकीर्तिमान बना लिया था लेकिन संभव का जो सफर है वो अभी शुरू हुआ था संभव ने भारत की विलुप्त होती कला को विभिन्न मंच पर शंखनाद के माध्यम से पुनर जीवित किया
संभव को विभिन्न मंचो पर कार्यक्रम की शुरुवात कर अपनी प्रतिभा को दिखाया संभव ने 26 सेकंड के रिकॉर्ड को तोड़ते हुवे 3 मिनट 32 सेकंड के रिकॉर्ड को प्राप्त किया जो कि बहुत ही असंभव सा कार्य था संभव को विभिन्न मंचो पर सम्मानित किया गया संभव को इस शंख कला में कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय अवार्ड मिले संभव का नाम अब तक 13 वर्ल्ड रिकॉर्ड बूको में नाम दर्ज हो चुका है साथ ही संभव ने अब तक 3 तरह के वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए है
संभव ने दूसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड 30 सेकंड में 33 सिक्को का टावर मेजर स्केल पर बनाकर बनाया है तो तीसरा रिकॉर्ड साइड तो साइड होप जम्प में एक पेर पर खड़े होकर 30 सेकंड में 112 बार जम्प करके बनाया है रिकॉर्ड सुनने में बहुत ही अजीब लगते है लेकिन संभव ने इस असंभव को संभव करके दिखाया है संभव ने बहुत ही कम उम्र में अपना ओर अपने प्रदेश का नाम रोशन किया है