वैश्विक प्रतिभासंपन्न व्यक्तित्व: महामहोपाध्याय प्रो० शिववरण शुक्ल

Anmol Magazine _ 
प्रो० शिववरण शुक्ल का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद के दक्षिण भाग में प्रवाहमान पतित पावनी मां गंगा जी के तट पर स्थित सिद्ध ज्वालेश्वर शिव मंदिर- पण्डित रामप्रसाद शुक्ल, सरवरियन का पुरवा, रायपुर गौरी वर्तमान शिव नगर में  22 फरवरी 1952 को हुआ।

 प्रो शुक्ल के दादा पण्डित ज्वाला प्रसाद शुक्ल, पण्डित देवीदयाल प्रसाद शुक्ल, पिता पण्डित भागवत प्रसाद शुक्ल, माता श्रीमती शांती शुक्ला देवाधिदेव महादेव जी के अनन्य आराधक रहे, जिसका प्रभाव प्रो० शुक्ल के साथ ही साथ समग्र परिवार के ऊपर प्रभाव है।
डा० शुक्ल प्रारंभ से ही अलौकिक प्रतिभा के धनी रहे। डॉक्टर शुक्ल ने 1983 में पीएचडी प्राप्त कर 1987 में शिक्षा क्षेत्र की सर्वोच्च डिग्री विश्व में सबसे कम आयु में प्राप्त कर प्रथम बार वैश्विक प्रतिष्ठा प्राप्त की। सन 1990 में विश्व संस्कृत सम्मेलन, विएना (ऑस्ट्रिया) में विश्व के सबसे कम आयु वाले प्रोफेसर शुक्ल एक सेशन के चेयरमैन बन द्वितीय बार वैश्विक प्रतिष्ठा प्राप्त की।
सन 1992 में वर्ल्ड अर्थ कॉन्फ्रेंस, रियो डी जनेरियो, ब्राजील में डॉक्टर शुक्ल ने UNCED को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों से ही प्रदूषण की समस्या का आत्यंतिक निदान किया जा सकता है। इस तथ्य को स्वीकार करते हुए UNCD ने प्रोफेसर शुक्ल को अपनी कान्फ्रेंस में Observer के रूप में आमंत्रित किया।
सन 1993 में एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ऑफ चीन, बीजिंग में संपन्न होने वाले क्लाइमेट चेंज इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में प्रोफेसर शुक्ल को एक सेशन का चेयरमैन नियुक्त किया गया।
सन 1994 में वर्ल्ड संस्कृत कॉन्फ्रेंस, मेलबर्न आस्ट्रेलिया ने प्रोफेसर शुक्ल के सुझाव को अक्षरशः स्वीकार करते हुए संस्कृत एंड एनवायरनमेंट नामक स्पेशल पैनल बनाया और इस पैनल का Initiator डॉक्टर शुक्ल को मानते हुए इस पैनल का चेयरमैन नियुक्त कर अनेक सुविधाएं प्रदान की इससे प्रोफेसर शुक्ल की वैश्विक प्रतिभा उपवृहित हुई।
सन 2001 में डॉक्टर शुक्ल ने पर्यावरण संस्कृति (Envicultology) नामक वैश्विक कल्याण के लिए ग्रंथ की रचना की जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने Book with most postulates influencing the sustainable Development through Environment & Culture मानते हुए विश्व रिकॉर्ड के रूप में स्वीकार किया।
21 अप्रैल से 12 जून 2003 तक प्रोफेसर शुक्ल ने संपूर्ण उत्तर प्रदेश की पर्यावरण संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु समस्त जनपदों की 7711 किलोमीटर की पर्यावरणीय यात्रा की और इस यात्रा के मध्य प्रोफेसर शुक्ल 153 पर्यावरण संस्कृति के सम्मेलन भी आयोजित किए जिससे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने Most sessions on Environment & Culture (Campaign) के रूप में कहकर वर्ल्ड रिकॉर्ड में सम्मिलित किया।
13 अक्टूबर से 24 अक्टूबर 2004 तक डॉ शुक्ला ने पतित पावनी गंगा जी के तट पर संस्कृत विद्यालय मठ, डलमऊ में 253 घंटे लगातार पर्यावरण संस्कृति पर प्रवचन करते रहे जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने Longest session on Environment and culture कहकर अपने विश्व रिकॉर्ड के रूप में स्वीकार किया।
22 फरवरी से 5 जून 2005 तक 104 दिन लगातार गंगा जी के तट पर ग्लोबल वार्मिंग के Eradication के लिए प्रथम और दीर्घकालीन यज्ञ किया।
17 दिसंबर 2020 को डॉ शुक्ल ने छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, रायपुर के चेयरमैन के रूप में महामहिम सुश्री अनुसुइया उइके जी, राज्यपाल छत्तीसगढ़ के निर्देशन में ऐसा Webinar किया जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने अपने रिकॉर्ड में यह कहते हुए Certificate of Excellence प्रदान किया- First webinar of Multiple Private Universities Administrative Authority. स्वीकार किया।
28 सितंबर 2021 को आजादी के अमृत महोत्सव काल में चेयरमैन प्रोफेसर शुक्ल ने Longest Webinar on Higher Education Policy and Personality Development  का आयोजन गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सम्मिलित हुआ।
15 फरवरी 2022 को चेयरमैन प्रोफेसर शुक्ला ने ऐसा Webinar आयोजित किया जो 14 घंटे 40 मिनट तक चलता रहा और केंद्रीय तथा राज्य विश्वविद्यालय के 28 कुलपतियों ने सम्मिलित होकर अपने अपने विचार प्रस्तुत किए। इस Webinar को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने अपने रिकॉर्ड में सम्मिलित करते हुए Most Vice Chancellors participating in a Webinar स्वीकार किया।
डॉक्टर शुक्ल अलौकिक प्रतिभा, अति उत्साह और कर्म निष्ठा से ऐसे आपूरित हैं कि 22 फरवरी 2022 को 70 वर्ष की आयु में चेयरमैन के पद से सेवानिवृत्त होकर भी अपने मूल निवास रायबरेली जनपद में आकर 03 जून 2022 को राष्ट्रीय स्तर का विशाल बौद्धिक सम्मेलन हिंदी भवन, नई दिल्ली में आयोजित किया जिस के मुख्य अतिथि कीर्ति चक्र डॉ अजित डोवाल,  राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भारत सरकार रहे।
जी -20 सफल रहे भारत 'विश्व गुरु' बने और माननीय प्रधानमंत्री जी 'पृथ्वी रत्न' के रूप में सर्वमान्य हों, इस उद्देश्य को लेकर प्रो० शुक्ल ने 21- 22 फरवरी 2023 को देवाधिदेव महादेव जी के महामृत्युंजय महामंत्र का जाप लगातार 27 घंटे पतित पावनी मां गंगा जी के तट पर करके विश्व रिकार्ड बनाया। जिसकी प्रशंसा Longest Mantra Chanting by an Individual यह कहते हुए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने अपने रिकॉर्ड में शामिल किया और वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, यू०के० लंदन ने Certificate of Appreciation- 2023 प्रदान किया।
आगामी 22 से 23 अप्रैल 2023 को विश्व पृथ्वी दिवस एवं अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर भारत के गौरव के संवर्धन हेतु आध्यात्मिक अनुष्ठान एवं अति उच्च स्तरीय राष्ट्रीय बौद्धिक विमर्श का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में उत्तर प्रदेश प्रांत के मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र जी देश की विभिन्न विभूतियों को 'विश्व पृथ्वी सम्मान' वितरित करेंगे। इस अवसर पर कुलाधिपति, कुलपति, रजिस्ट्रार, प्रोफेसर्स, ऑफिसर्स, गणमान्य लोगों का बहुत बड़ा सम्मेलन होगा। संसार का यह पहला सम्मेलन होगा जो नितांत ग्रामीण क्षेत्र में किया जा रहा है।
प्रो० शुक्ल को पूर्व प्रधानमंत्री माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने 30 नवंबर, 1993 को ही अपने पत्र में- 'आप अवश्य ही भारत का सम्मान बढ़ाने में सहायक होंगे'- लिखकर प्रोफेसर शुक्ल को आशीष प्रदान किया है।
अंततः यह कहा जा सकता है कि रायबरेली के अति ग्रामीण क्षेत्र में जन्मे प्रोफेसर शुक्ल ने जहां उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक वैश्विक मानक स्थापित किए हैं वही भारत राष्ट्र गौरव के संवर्धन में अनेक विश्व स्तरीय कार्य करके वैश्विक यशस्विता प्राप्त की। आज अनेक वैश्विक स्तर के मूर्धन्य विद्वानों द्वारा एक स्वर से प्रोफेसर शुक्ल को वैश्विक प्रतिभा का धनी माना जाने लगा है। यह रायबरेली ही नहीं भारत के लिए गौरव की बात है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !